Thursday, April 23, 2020

Daakshinyam Swajane Dayaa Parijane


दाक्षिण्यं स्वजने, दया परजने, शाट्यं सदा दुर्जने
प्रीतिः साधुजने, नयो नृपजने, विद्वज्जनेऽप्यार्जवम् ।
शौर्यं शत्रुजने, क्षमा गुरुजने, नारीजने धूर्तता
ये चैवं पुरुषाः कलासु कुशलास्तेष्वेव लोकस्थितिः ॥

इन गुणों में माहिर होकर आप भी सामाजिक प्रतिष्ठा हासिल कर सकते हैं

સ્વજનો પ્રત્યે કર્તવ્ય પરાયણતા, અજાણ્યાઓ પ્રત્યેની દયા, દુષ્ટ લોકો પ્રત્યે સાવધાની, સારા લોકો પ્રત્યે પ્રેમ, રાજાઓ સાથે શાણપણ,  વિદ્વાનો સાથેના વ્યવહારમાં મૃદુતા । શત્રુઓ પ્રત્યે બહાદુરી, વડીલો ને ક્ષમા અને  નારીઓ ની અવગણના,  આ કળાઓમાં જે પુરુષ કુશળ છે તેની આ લોક માં ખુબ પ્રતીષ્ઠા થાય છે।। 

अपनों के प्रति कर्त्तव्य परायणता और दायित्व का निर्वाह करना, अपरिचितों के प्रति दयालुता का भाव रखना, दुष्टों से सदा सावधानी बरतना, अच्छे लोगों के साथ अच्छाई से पेश आना,  राजाओं से व्यव्हार कुशलता से पेश आना, विद्वानों के साथ सच्चाई से पेश आना, शत्रुओं से
बहादुरी से पेश आना, गुरुजनों से नम्रता से पेश आना, महिलाओं के साथ के साथ समझदारी से पेश आना इन गुणों या ऐसे गुणों में माहिर लोगों पर ही सामाजिक प्रतिष्ठा निर्भर करती है।

Bhartuhari Nitishatak ભર્તુહરિ નીતિશતક 

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